Saturday 27 October 2012

यूँ ही नहीं - राकेश रोहित

एक फूल खिला यूँ ही, 
एक बच्चा मुस्कराया यूँ ही 
एक मनुष्य घर से निकला, 
गुनगुनाया यूँ ही.

यूँ ही नहीं बड़बड़ाता है 
नरक का बादशाह -
इस दुनिया के नष्ट होने में 
देर है कितनी?

यूँ ही नहीं / राकेश रोहित 

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