Tuesday 19 February 2013

तुम्हारी इक मुस्कान - राकेश रोहित

हजार शब्दों में
कही गयी बात पर 
भारी पड़ती है तुम्हारी इक मुस्कान!

तुम्हारी इक मुस्कान / राकेश रोहित 

Saturday 16 February 2013

प्यार की खातिर - राकेश रोहित

हर दिन सूरज  तनहा जलता है, 
हर रात अकेली सोती है. 
दो फूल जहां में खिलते हैं,
जब बात प्यार की होती है.

दो फूल जहां में / राकेश रोहित 

Saturday 2 February 2013

जड़ की ओर - राकेश रोहित

लौटना चाहता हूँ वहाँ 
जहाँ से चला नहीं हूँ, 
जैसे फुनगी पर खिलती है पत्ती 
और जड़ की ओर लौटना चाहती है.

जड़ की ओर / राकेश रोहित