जब नष्ट हो रहा हो सब कुछ और दिन आखिरी हो सृष्टि का मेरे प्रिय, तुम मुझे प्यार करती रहना!
...क्योंकि यह प्यार ही है जिसका कविता हर भाषा में अनुवाद उम्मीद की तरह करती है.
एक दिन मेरे पास इतनी उम्मीद होगी कि मैं अपने कहे शब्दों से प्यार करने लगूँगा! उस दिन असत्य के सामने इतनी रोशनी होगी कि साफ झलकेगा उसका नकलीपन, उस दिन विश्वास से चमकेंगी उत्सवधर्मी शुभकामनाएँ!!