Tuesday 2 December 2014

नदी, पत्ती और प्रेम - राकेश रोहित

कई बार नदी पर तैरती पत्ती से भी
हो सकता है प्रेम
कई बार प्रेम ही होता है
जो पत्ती को डूबने नहीं देता!

Saturday 22 November 2014

असंभव क्या है - राकेश रोहित

असंभव क्या है - कहने का
मेरे पास बस एक तरीका है,
मैं तुम्हारा नाम लिख दूँ
और कह दूँ तुमसे प्यार नहीं है!

Tuesday 18 November 2014

धरती और चाँद - राकेश रोहित

एक दिन खिड़की से चाँद को बुलाऊंगा
और सो जाऊंगा,
तुम देखना फिर उत्तप्त धरती पर
कैसे बरसती है चाँदनी!

Monday 17 November 2014

शब्दों में चमक - राकेश रोहित

शब्दों में चमक थी/ पर
शब्दों का अर्थ
खुलकर सामने नहीं आता था।

वह धीरे-धीरे रिसता था
और कुछ उनकी मुद्राओं में छुपा रह जाता था।

यह चमकीले शब्दों से भरे
मनुष्यता के धूसर दिन थे।

Sunday 16 November 2014

मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा - राकेश रोहित

नष्ट हो रही चीजों के साथ
मैं तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा!
जहाँ जीवन के लिए बची हो उम्मीद
और निर्माण की संभावनाएं हों
वहाँ मिलना मुझसे कविता
कविता, मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा।

Saturday 8 November 2014

फूलों का नाम न पूछो - राकेश रोहित

मैंने बच्चे से उसका नाम पूछा
उसने कहा-
क्या आप फूलों से भी उसका नाम पूछते हैं?
मैंने देखा बारिशों सी उसकी हँसी थी
और बादलों सी उसकी आँखें!
मैं जानता था कि उसके खुश होने में ही
कविता बची है।

Sunday 12 October 2014

मनुहार - राकेश रोहित

इस जिद्दी बारिश में बचाना है
कागज का यह टुकड़ा,
तुम अपना हाथ दो
तो हथेलियों में छिपा लूँ इसको!

Thursday 18 September 2014

तुम्हारी हँसी सी एक कविता हो - राकेश रोहित

एक बहुत  प्यारी  तुम्हारी हँसी  है मेरे पास
मैं  चाहता  हूँ  उतनी  ही  सुंदर 
एक कविता  भी मेरे पास हो!

Monday 1 September 2014

उफ ये तुम्हारी याद है - राकेश रोहित

उफ ये तुम्हारी याद है या भींगी हुई हवा कोई
दिल को हम समझाते रहे और आँखें गीली हो गईं!

Sunday 24 August 2014

Friday 8 August 2014

बहते जल में परछाई - राकेश रोहित

बहते जल में
नहीं बह जाती है मेरी परछाई!
जो मेरी जिद है
कविता में
हर वक्त बची रहती है।

Saturday 5 July 2014

जीभ पर रंग - राकेश रोहित

सिर्फ स्वाद नहीं
जीभ पर
रंग भी चढ़ता है
जामुनों का.....
चखता हूँ मैं इसे तेरे प्यार की तरह!

Sunday 29 June 2014

Sunday 22 June 2014

मुस्कराहटें - राकेश रोहित

वो कहते हैं कहने से बात नहीं बनती,
हमने मुस्कराहटों से मंजर बदलते देखा है!

Wednesday 18 June 2014

जो मन को गा लेगा - राकेश रोहित

कितना अधिक अँधेरा है
इस निर्जन में, इस मन में!
जीवन का गीत वही लिखेगा
जो मन को गा लेगा।

Sunday 25 May 2014

तुम्हारी याद - राकेश रोहित

एक पन्ना मोड़ कर
जब तुमने बंद कर दी थी किताब
क्या उस समय तुम मुझे याद कर रही थी?
या बस यह एक संयोग है
कि उस मुड़े पन्ने को देख
मुझे तुम्हारी याद आ रही है।

तुम्हारी याद / राकेश रोहित 

Sunday 11 May 2014

तुम्हारी हँसी - राकेश रोहित

जितना भी कहूँ, कहने से कुछ रह जाता है
सिर्फ तुम्हारी हँसी में समाती है सारी बात।

तुम्हारी हँसी में समाती है सारी बात / राकेश रोहित

Saturday 5 April 2014

रहने लायक यह दुनिया - राकेश रोहित

कुछ कहानियों ने हमें इंसान बनाया
कुछ कविताओं ने उदासी में थामा हाथ
दुनिया यूँ ही नहीं हो गयी रहने लायक
सदियों से,
सुंदर फूलों के बीज बचाते आए हैं कुछ लोग।

सुंदर फूलों के बीज बचाते आए हैं कुछ लोग/ राकेश रोहित 

Sunday 23 March 2014

पत्तों पर हरे रंग से नाम - राकेश रोहित

मैंने पत्तों पर हरे रंग से लिखा है तुम्हारा नाम
ना पढ़ो सही पर पत्तों पर अपना रंग तो देखो!

पत्तों पर अपना रंग देखो / राकेश रोहित 

Saturday 8 February 2014

चिड़िया की आवाज लिखनी है कविता में - राकेश रोहित

मुझे चिड़िया की आवाज लिखनी है कविता में
मैं रोज पत्तों से पूछता हूँ उसकी भाषा!


चिड़िया की आवाज लिखनी है  कविता में / राकेश रोहित 

Friday 7 February 2014

पीले फूल और तुम - राकेश रोहित

संसार के सारे पीले फूलों पर तुम्हारा रंग है क्या?
तभी तो उनके खिलने से बसंत आता है!

पीले फूल और तुम / राकेश रोहित 

प्रेमियों का एकांत - राकेश रोहित

...और जबकि इतनी धूप खिली है
प्यार कैसे तुमको छू रहा है
क्या अब भी आकाश के किसी कोने में
प्रेमियों का एकांत है

प्रेमियों का एकांत / राकेश रोहित 

Thursday 23 January 2014

पहली मुलाकात का शब्द - राकेश रोहित

जब सब कुछ नष्ट हो रहा था
मैं तुम्हारे पास लौटा
मैं उस शब्द की तलाश में था
जो मैंने तुमसे पहली मुलाकात में कहा था.


पहली मुलाकात का शब्द / राकेश रोहित