दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
जब मैं जिंदगी का पता भूल जाता हूँ कविता मैं लौटता हूँ तुम्हारे घर में।
वो कहते हैं कहने से बात नहीं बनती, हमने मुस्कराहटों से मंजर बदलते देखा है!
कितना अधिक अँधेरा है इस निर्जन में, इस मन में! जीवन का गीत वही लिखेगा जो मन को गा लेगा।