असंभव क्या है - कहने का
मेरे पास बस एक तरीका है,
मैं तुम्हारा नाम लिख दूँ
और कह दूँ तुमसे प्यार नहीं है!
Saturday 22 November 2014
असंभव क्या है - राकेश रोहित
Tuesday 18 November 2014
Monday 17 November 2014
शब्दों में चमक - राकेश रोहित
शब्दों में चमक थी/ पर
शब्दों का अर्थ
खुलकर सामने नहीं आता था।
वह धीरे-धीरे रिसता था
और कुछ उनकी मुद्राओं में छुपा रह जाता था।
यह चमकीले शब्दों से भरे
मनुष्यता के धूसर दिन थे।
Sunday 16 November 2014
मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा - राकेश रोहित
नष्ट हो रही चीजों के साथ
मैं तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा!
जहाँ जीवन के लिए बची हो उम्मीद
और निर्माण की संभावनाएं हों
वहाँ मिलना मुझसे कविता
कविता, मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा।
Saturday 8 November 2014
फूलों का नाम न पूछो - राकेश रोहित
मैंने बच्चे से उसका नाम पूछा
उसने कहा-
क्या आप फूलों से भी उसका नाम पूछते हैं?
मैंने देखा बारिशों सी उसकी हँसी थी
और बादलों सी उसकी आँखें!
मैं जानता था कि उसके खुश होने में ही
कविता बची है।
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