दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
स्पर्श में ही बचा रहता है सृष्टि का आदिम स्वाद ऐसे छूता हूँ तुमको जैसे छूती है हवा नदी को।
चाहता हूँ कविता ऐसे रहे मेरे मन में जैसे तुम्हारे मन में रहता है प्रेम!
आप कहाँ मेरे दिल का कहा मानते हैं, माटी में छुपी कविता का रहस्य सिर्फ फूल जानते हैं!"