Thursday 26 March 2015

स्पर्श - राकेश रोहित

स्पर्श में ही बचा रहता है
सृष्टि का आदिम स्वाद
ऐसे छूता हूँ तुमको
जैसे छूती है हवा नदी को।

Monday 16 March 2015

ऐसे रहे कविता - राकेश रोहित

चाहता हूँ कविता ऐसे रहे मेरे मन में
जैसे तुम्हारे मन में रहता है प्रेम!

Sunday 1 March 2015

माटी में छुपी कविता - राकेश रोहित

आप कहाँ मेरे दिल का कहा मानते हैं,
माटी में छुपी कविता का रहस्य सिर्फ फूल जानते हैं!"