Friday 31 July 2015

तुम्हारे नाम का शब्द - राकेश रोहित

जबकि तुम मुझे भूल गयी हो
डायरी के किसी पन्ने में
समय अब भी ठहरा हुआ है।

कल चाँद के पास
अकेला चमक रहा था तुम्हारे नाम का शब्द
तुम पढ़ना
मैं उसे कविता में उतार लाया हूँ।

Friday 17 July 2015

कविता और प्यार - राकेश रोहित

हर नया शब्द 
नया पर्दा है सच को छुपाने के लिए।

सात पर्दों में छुपी भाषा को
मैं बाहर लाता हूँ कविता में
मैं कविता करता हूँ, जब मैं कहता हूँ -
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।

Thursday 16 July 2015

तुम्हारी याद जैसे कलरव है - राकेश रोहित

एक चिड़िया पेड़ पर बैठी है
एक याद मेरे मन में है
पता नहीं आवाज किसकी आती है?
पता नहीं यह कलरव किसका है?

Wednesday 15 July 2015

घास की नोक पर बूंद- राकेश रोहित

सुंदर है
घास की नोक पर ठहरी
पानी की एक बूंद!

पर, मेरी कविता को इंतज़ार
उस बूंद के
घास की जड़ों तक पहुँचने का है!!

Wednesday 1 July 2015

पहले पन्ने पर तुम्हारा नाम - राकेश रोहित

पढ़ने को तो मैं पढ़ता हूँ
बादलों का लिखा
लेकिन नहीं पढ़ पाया वो किताब
जिसके पहले पन्ने पर तुम्हारा नाम लिखा है
और बाकी सफे खाली हैं।