मैं धूप में इसलिए निकल आया हूँ
कि थोड़ी छाया हो धरती पर
मैं खामोश रहता हूँ इस शोर में
कि तुम्हारी आवाजों को जगह मिले!
Sunday 20 September 2015
तुम्हारी आवाजों को जगह - राकेश रोहित
Tuesday 15 September 2015
Friday 4 September 2015
संशय क्यों हर प्रेम पर छाया है - राकेश रोहित
संशय क्यों हर प्रेम पर छाया है?
क्योंकि प्रेम पृथ्वी है
और संशय आकाश!
आकाश की छाया डोलती है
पृथ्वी की देह पर
और पृथ्वी के धुले चेहरे पर
आकाश के चुंबनों के निशान हैं!
क्योंकि प्रेम मैं हूँ
और संशय तुम!
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