Tuesday 20 October 2015

सौ आँखें और एक सपना - राकेश रोहित

तुम्हारी सौ आँखों में
मेरा एक सपना नहीं समाता
मैं जिसे देखता हूँ
तो बची रह जाती है
दुनिया में तुम्हारी जगह!

Monday 19 October 2015

मैं उससे मिला एक दिन - राकेश रोहित

मैं उससे मिला एक दिन
जिसे किसी ने हँसते हुए नहीं देखा
एक विश्वप्रसिद्ध पेंटिंग में उसकी
मुस्कराहटों की छवियां हैं
मैंने एक दिन उसकी बंद आँखों को चूमा था
वह अंधेरे में मोती बरसने की रात थी।

Thursday 15 October 2015

एक अव्यक्त मन - राकेश रोहित

मेरे पास रथ का कोई टूटा पहिया नहीं
बस कुछ अधूरे वाक्य हैं!
जब तेज संगीत के साथ बजती है
विजेताओं के आगमन की धुन
मैं खड़ा हूँ शब्दों की भीड़ में
एक अव्यक्त मन लिए
मुझे अभिव्यक्ति का एक अवसर दो
मैं तुम्हारे अंदर गूंजता स्वर हो जाना चाहता हूँ।

Sunday 11 October 2015

वह - राकेश रोहित

नदी के जिस ओर खड़ी थी स्त्री
उस ओर बहुत फिसलन थी
और काई
कि खड़ा होना मुश्किल था
फिर भी तुम्हें देखना चाहती थी वह
इसलिए वह खड़ी रही।

Saturday 3 October 2015

चिड़िया, बारिश, सपना और पेड़ - राकेश रोहित

धूप में बैठी चिड़ियों को
बारिश के सपने आते हैं
एक दिन सपने में बारिश होती है
और लौटती है चिड़िया पेड़ पर!