धरती की तरह
सह जाता
नदी की तरह
बह जाता
चिड़िया की तरह
कह जाता
तो दुख की तरह
रह जाता
मैं भी
मन में और जीवन में!
Thursday 1 September 2016
रह जाता - राकेश रोहित
Monday 11 July 2016
भय - राकेश रोहित
मेरी उन कविताओं में
जिन्हें दीमक खा गयी
मैंने तुम्हारे लिए प्यार लिखा था!
अरे प्यार कम थोड़े ही हो जाता है
पर ऐसा क्यों लगता है
जैसे कुछ खो गया है अपने अंदर!
क्या एक दिन यह पृथ्वी भी
दीमकें चाट जायेंगीं
जिस पर चूमता हूँ तुम्हें
और सांस रोके देखता है दिगंत!
Sunday 3 July 2016
Monday 23 May 2016
मुस्कराहटें - राकेश रोहित
तुम न मेरी उदासी पढ़ सकती हो
न मेरा एकांत
इसलिए मुझे मुस्कराने के सौ जतन करने पड़ते हैं!
एक बात कही थी जो मैंने
वह शायद तुम भूल गयी हो
मेरे अंदर जो हताशा का समंदर है
उसके तट पर कोई टहलता नहीं है!
तुमसे मेरी सारी मुलाकातें
मुस्कराहटों के नाम हैं
यह बात और है कि
आइने ने मुझे हँसते हुए नहीं देखा!
Sunday 17 April 2016
नदी, स्त्री और गीत - राकेश रोहित
उसने माथे पर छिड़का नदी का जल
और नदी में पांव डाल कर बैठ गयी
धीरे- धीरे उसके पैर से फूटने लगी जड़ें
मैंने धरती की सबसे सुंदर नदी को
स्त्री के रूप में देखा
उसकी आंखों में भयावह एकांत की स्मृतियाँ थीं
वह पीड़ा का गीत गा रही थी!
Monday 14 March 2016
एक दिन मैं - राकेश रोहित
एक दिन मैं सो जाऊंगा
तो मुझे नींद आ जायेगी
एक दिन मैं कहने लगूंगा
तो मेरे पास कुछ बात होगी
एक दिन मैं उदास होऊंगा
तो मेरे पास कुछ वजहें होंगी
एक दिन मैं चूम लूंगा तुम्हें
तो तुमसे मुझे प्यार हो जायेगा!
Saturday 20 February 2016
प्रेम - राकेश रोहित
वह क्या है जो कह दिया जायेगा
फिर भी कहने से रह जायेगा
जैसे प्रेम
जिसे मैं छूता हूँ
यद्यपि वह स्पर्श से परे है!
Monday 18 January 2016
इंतजार - राकेश रोहित
कविता लिखकर हर बार
मैंने तुमको सुनाने का इंतजार किया
तुमने कहा समय नहीं है!
फिर मैंने पत्तों को सुनाई कविता
उस बरस वसंत में बहुत फूल आए।
अब फूलों को तुम्हारा इंतजार है
मैं जानता हूँ तुम्हारे पास समय नहीं है!
Sunday 3 January 2016
अनछुआ एक जीवन - राकेश रोहित
सिर्फ यादों के सहारे वह नदी पार कर सकती है
घुप्प अंधेरे में वह स्मृति की नावों पर सवार है
सबसे कमजोर क्षणों में भी
नहीं खोलती वह स्मृतियों के दरवाजे
जिनके पार अनछुआ है एक लड़की का जीवन!