Monday 18 January 2016

इंतजार - राकेश रोहित

कविता लिखकर हर बार
मैंने तुमको सुनाने का इंतजार किया
तुमने कहा समय नहीं है!

फिर मैंने पत्तों को सुनाई कविता
उस बरस वसंत में बहुत फूल आए।

अब फूलों को तुम्हारा इंतजार है
मैं जानता हूँ तुम्हारे पास समय नहीं है!

Sunday 3 January 2016

अनछुआ एक जीवन - राकेश रोहित

सिर्फ यादों के सहारे वह नदी पार कर सकती है
घुप्प अंधेरे में वह स्मृति की नावों पर सवार है
सबसे कमजोर क्षणों में भी
नहीं खोलती वह स्मृतियों के दरवाजे
जिनके पार अनछुआ है एक लड़की का जीवन!