दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
वह क्या है जो कह दिया जायेगा फिर भी कहने से रह जायेगा जैसे प्रेम जिसे मैं छूता हूँ यद्यपि वह स्पर्श से परे है!