तुम न मेरी उदासी पढ़ सकती हो
न मेरा एकांत
इसलिए मुझे मुस्कराने के सौ जतन करने पड़ते हैं!
एक बात कही थी जो मैंने
वह शायद तुम भूल गयी हो
मेरे अंदर जो हताशा का समंदर है
उसके तट पर कोई टहलता नहीं है!
तुमसे मेरी सारी मुलाकातें
मुस्कराहटों के नाम हैं
यह बात और है कि
आइने ने मुझे हँसते हुए नहीं देखा!