Monday 11 July 2016

भय - राकेश रोहित

मेरी उन कविताओं में
जिन्हें दीमक खा गयी
मैंने तुम्हारे लिए प्यार लिखा था!

अरे प्यार कम थोड़े ही हो जाता है
पर ऐसा क्यों लगता है
जैसे कुछ खो गया है अपने अंदर!

क्या एक दिन यह पृथ्वी भी
दीमकें चाट जायेंगीं
जिस पर चूमता हूँ तुम्हें
और सांस रोके देखता है दिगंत!

Sunday 3 July 2016

हँसी - राकेश रोहित

सारे आभूषण बांधते थे उसे
सिर्फ हँसी मुक्त करती थी
मैंने कहा हँसती रहो
और वह हँसी!